Swachh Bharat Mission-Urban

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स्वच्छता की उड़ान: डंपिंग ग्राउंड से बायोडायवर्सिटी पार्क तक का सफर

स्वच्छ भारत मिशन की प्रेरणा से जन्मी एक मिसाल

स्वच्छ भारत मिशन, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय की एक दूरदर्शी पहल रही है, इस मिशन ने न सिर्फ भारत को स्वच्छ बनाने का सपना देखा, बल्कि लाखों नागरिकों के दिलों में स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी और जागरूकता की भावना भी पैदा की। इसी भावना से प्रेरित होकर ग्रेटर नोएडा में एक ऐसी पहल की गई, जिसने एक डंपिंग ग्राउंड को हरे-भरे बायोडायवर्सिटी पार्क में बदल दिया।

कभी यह ज़मीन, जो सेक्टर-16 रेलवे ब्रिज के पास स्थित है, एक बदबूदार और खतरनाक डंपिंग ग्राउंड के रूप में जानी जाती थी। यहां अवैध खनन होता था, जहरीले धुएं उठते थे, और चारों ओर गंदगी का अंबार था। आसपास के निवासियों के लिए यह स्थान न केवल असुविधा का कारण था, बल्कि एक बड़ा स्वास्थ्य संकट भी था। परंतु जब यह स्थान स्वच्छ भारत मिशन की प्रेरणा और स्थानीय सहभागिता से जुड़ा , तो यह कहानी पूरी तरह बदल गई।

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ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (NPCL) और सामाजिक संस्था SAFE (Social Action for Forest and Environment) ने मिलकर इस परिवर्तन की नींव रखी। सात महीनों की मेहनत, लगन और स्वच्छता के प्रति प्रतिबद्धता ने इस 10 एकड़ की ज़मीन को एक हरे-भरे पार्क में बदल दिया। जहां पहले गंदगी थी, वहां अब 15,000 पेड़ों का घना जंगल खड़ा है, जिसे सेमी-मियावाकी पद्धति से विकसित किया गया है।

यहां एक सूखा पड़ा तालाब भी पुनर्जीवित हुआ है, जो अब 38 सेमी वर्षा जल को संजोने में सक्षम है। इस पार्क में दो सोलर पंप लगाए गए हैं, जो हर दिन 3.6 किलोवाट-घंटे बिजली की बचत करते हुए सिंचाई की जरूरतों को पूरा करते हैं। सफाई के दौरान 12 ट्रक कचरा निकाला गया और करीब 1,600 किलोग्राम अच्छी प्लास्टिक को रिसाइक्लिंग के जरिए बेंच बनाने जैसे उपयोगी कार्यों में लगाया गया। यह केवल सफाई नहीं थी, यह एक ‘सर्कुलर इकॉनॉमी’ की ओर उठाया गया ठोस कदम था।

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आज इस बायोडायवर्सिटी पार्क से प्रतिदिन लगभग 1,000 लोग सीधे लाभान्वित हो रहे हैं, जबकि 10,000 से अधिक लोग इसकी वजह से बेहतर वायु गुणवत्ता और हरियाली का अप्रत्यक्ष लाभ उठा रहे हैं। इस परिवर्तन में स्थानीय लोगों की भी अहम भूमिका रही — उन्होंने प्लॉगिंग, पेंटिंग और सौंदर्यीकरण में बढ़-चढ़ कर भाग लिया, जिससे यह पार्क सिर्फ एक सरकारी परियोजना नहीं, बल्कि पूरे समुदाय का साझा सपना बन गया। आज यह पार्क न केवल पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जैव-विविधता के पुनरुत्थान का भी केंद्र बन गया है। आने वाले समय में यहां 20 से 30 पक्षी प्रजातियों और 15 से अधिक कीट प्रजातियों के बसने की उम्मीद है। यह दर्शाता है कि यह हरियाली सिर्फ आंखों के लिए सुखद नहीं, बल्कि पूरे इकोसिस्टम के लिए जीवनदायिनी है।

यह परियोजना इस बात का उज्ज्वल उदाहरण है कि कैसे सामूहिक प्रयास, दूरदर्शिता और सतत विकास की नीतियां मिलकर किसी बड़े पर्यावरणीय संकट को विकास और समृद्धि के अवसर में बदल सकती हैं। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का यह बायो-डायवर्सिटी पार्क स्वच्छ भारत मिशन की प्रेरणा, सामूहिक प्रयासों की ताकत और सतत विकास की दिशा में एक सशक्त कदम है। यह दर्शाता है कि जब सोच दृढ़ होती है, तो बदलाव केवल ज़मीन पर नहीं, आदत में भी झलकता है।

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