प्राकृतिक स्रोतों को जीवन और सौंदर्यीकरण के विकल्प दे रहा लखनऊ का प्लांट
गोमती नदी को दूषित जल से बचाकर उपचारित जल से सींची जा रही नई पौध
स्वच्छ जल संचय की दिशा में मददगार सिद्ध हो रहा स्तरीय प्रयुक्त जल प्रबंधन
जब हमारे देश में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई थी, तब हर देशवासी ने यह अनुमान तो लगा लिया था कि हमारा भारत एक दिन स्वच्छ और कचरामुक्त हो जाएगा। मगर यह कल्पना शायद ही किसी ने की होगी कि हमारे शहर केवल कचरामुक्त ही नहीं, बल्कि प्रदूषित वायु से मुक्त वातावरण और दूषित जल से मुक्त जलस्रोतों की दिशा में भी मजबूती से कदम बढ़ाएंगे। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) के अंतर्गत अब इस मिशन के सफल 10 वर्ष होने के बाद देशभर के राज्यों में न सिर्फ स्वच्छ शहरों की चर्चा होती है, बल्कि स्वच्छ जल एवं स्वच्छ वायु सहित प्राकृतिक जलस्रोतों की स्वच्छता पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) से कई ऐसे पहलू जुड़े हुए हैं, जिनकी जानकारी सामान्य नागरिकों को नहीं है। स्वच्छता के इन्हीं पहलुओं में शामिल हैं देशभर के शहरों में अपशिष्ट जल का उपचार कर रीसाइक्लिंग के माध्यम से उसे पुन: उपयोग योग्य बनाने का काम करने वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP)। ऐसे ही प्लांट्स में से एक है एशिया के सबसे बड़े (STPs) में शुमार लखनऊ का सौर ऊर्जा संपन्न भरवारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट।
लखनऊ नगर निगम द्वारा संचालित यह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भरवारा में स्थित है, जो एशिया के सबसे बड़े प्लांट्स में से एक है। यह प्लांट प्रतिदिन 345 मिलियन लीटर से अधिक गंदे पानी का शुद्धिकरण करता है, जिससे स्वच्छता और स्थायी व्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलता है। भरवारा में इस प्लांट की शुरुआत होने के बाद लखनऊ नगर निगम ने उत्तर प्रदेश जल निगम के साथ मिलकर ऐसे कई STPs का निर्माण कराया है, जो अपशिष्ट जल को साफ करने का काम कर रहे हैं। भरवारा प्लांट की एक खास बात यह भी है कि यहां प्लांट की जरूरतों को देखते हुए इसे ‘सौर ऊर्जा सुविधाओं’ से भी संपन्न बनाया गया है। इस तरह के प्लांट सीवरों से होकर निकलने वाले सीवेज को साफ करते हैं, जिससे पानी साफ और बदबूरहित हो जाता है। प्लांट में पानी से छनने के बाद जो ठोस कीचड़ बचता है, उसे सुखाकर खाद बना ली जाती है, जिसका इस्तेमाल पौधों में उर्वरक के रूप में होता है और यह प्रक्रिया भी स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप काम करती है।
भरवारा के इस प्लांट में शौचालयों से संबंधित कीचड़ को अनोखे तरीके से सह-उपचारित किया जाता है, जिससे गंदे पानी को साफ और स्वच्छ पानी में बदल दिया जाता है। इन प्लांटों पर मानकों के अनुसार साफ किए गए पानी को फिर से इस्तेमाल में लाने योग्य बनाने की इस प्रक्रिया को ‘प्रयुक्त जल प्रबंधन’ कहा जाता है। एक बार उपयोग में लाए जा चुके पानी को पुन: इस्तेमाल योग्य बनाकर इसे सार्वजनिक शौचालयों में फ्लश के लिए, सड़कों की सफाई, पार्कों में सिंचाई, निर्माण कार्यों के दौरान और सौंदर्यीकरण के लिए लगाए गए फव्वारों में किया जाता है। ट्रीट किए गए पानी को पुन: उपयोग में लाने के बाद, जो साफ पानी बाकी बचता है उसे गोमती नदी में छोड़ दिया जाता है। इससे स्थानीय जलमार्गों एवं जलस्रोतों की सुरक्षा में मदद मिलती है और शहर में पर्यावरण के हित से जुड़े लक्ष्यों को पूरा करने में भी सहायता मिलती है। यह पहल यमुना एक्शन प्लान और स्वच्छ सर्वेक्षण जैसे व्यापक राष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शहरों को साफ़-सुथरा बनाना और पूरे देश में ‘कचरा मुक्त शहर’ की मुहिम को आगे बढ़ाना है।
सौर ऊर्जा संपन्न भरवारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट एक ओर गोमती नदी को दूषित जल से बचाने का प्रभावी काम कर रहा है, वहीं दूसरी ओर प्लांट में उपचारित जल से नई पौध को सींचने में भी मदद मिली रही है। इस तरह लखनऊ का यह प्लांट प्राकृतिक स्रोतों को एक नया जीवन और पूरे शहर को सौंदर्यीकरण के विकल्प भी दे रहा है। साथ ही, कई स्तरों पर प्रयुक्त जल प्रबंधन सुनिश्चित किए जाने से स्वच्छ जल संचय की दिशा में भी मजबूती मिल रही है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ऐसे प्रयासों से अपशिष्ट जल का उपचार कर न सिर्फ स्वच्छ-सुरक्षित कल को संवारा जा रहा है, बल्कि प्रयुक्त जल के प्रबंधन के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों के लिए उज्ज्वल भविष्य भी सुनिश्चित हो रहा है।
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