स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विभिन्न राज्यों में स्थानीय शहरी निकायों द्वारा सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण एवं उनकी देखरेख के संदर्भ में कई अनोखे प्रयास किए जा रहे हैं। इस वर्ष क्लीन टॉयलेट कैंपेन की थीम ‘स्वच्छ शौचालय हमारी जिम्मेदारी’ पर आधारित है। देश भर से लाखों सफाईमित्र, केयरटेकर आदि अलग-अलग भूमिका में प्रतिदिन अपनी भागीदारी दर्ज कर रहे हैं।
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में विश्व शौचालय दिवस पर जन जागरूकता की एक विशेष झलक देखने को मिली। इंदौर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन द्वारा आयोजित “शौचालय सुपर स्पॉट कैंपेन” के तहत शहरी स्थानीय निकाय एवं नागरिकों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखने को मिली। इंदौर के 700 सार्वजनिक शौचालयों पर एक लाख लोगों ने सेल्फी ली साथ ही ऑनलाइन अपलोड भी किया।
इंदौर वासियों का स्वच्छता के प्रति जागरूकता का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि सुबह 5:30 बजे से 8:30 बजे तक, मात्र 3 घंटे में ही 30 हजार सेल्फी अपलोड की जा चुकी थीं।
स्वच्छता की जन भागीदारियों में से एक छत्तीसगढ़ के बबलू महतो और उनके परिवार ने अपने दृढ़ निश्चय और दूरदर्शिता से अपने समुदाय में एक विशेष परिवर्तन की भूमिका निभाई। इन्होंने एक क्षेत्र जो असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका था उसे सार्वजनिक उपयोग का स्थान बना कर समाज में सकारात्मक प्रभाव डालने की प्रतिबद्धता का प्रमाण दिया।
बिलासपुर के अशोक नगर इलाके में नगरपालिका द्वारा एक सार्वजनिक सुविधा केंद्र, जिसमें एक शौचालय और स्नानघर जैसी सुविधाएं उपलब्ध है की देख-रेख करने का जिम्मा बबलू महतो को सौंपा गया, उन्होंने सार्वजनिक सुविधा केंद्र के आस-पास के पूरे इलाके की सफाई की और उसे एक स्वच्छ और व्यवस्थित स्थान में बदल दिया।
बबलू अपनी पत्नी अनीता और परिवार के साथ इस केंद्र के पास रहकर सुनिश्चित करते हैं कि यह सुविधा केंद्र सुचारू रूप से काम करती रहे।
वहीं कोरबा के प्रभास शाही के प्रयास ने भी पिछले दस वर्षों से शहर के नए बस स्टैंड पर स्वच्छता सेवाएं प्रदान करने का जिम्मा ले रखा है। उनके इन अथक प्रयासों द्वारा शहर खुले में शौच से मुक्त होकर ODF++ का दर्जा भी प्राप्त किया।
उन्होंने 23 सार्वजनिक शौचालयों की देख-रेख का जिम्मा उठाया और इन सुविधा केंद्रों में महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकीन डिस्पेंसर, इंसीनेरेटर और बेबी फीडिंग रूम जैसी कई सुविधाएं मुहैया करायीं।
उनकी यह सेवा न केवल कोरबा शहर के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि उनके प्रयासों ने खुले में शौच को खत्म करने में बहुत बड़ी भूमिका अदा की।
दक्षिण में हैदराबाद की तुर्कयामजल नगरपालिका ने विश्व शौचालय दिवस के उपलक्ष्य में "वेस्ट टू वंडर" पहल के तहत एक अभिनव कदम उठाया।
इस शहरी स्थानीय निकाय के सफाईमित्रों ने पुराने स्क्रैप सामग्री का उपयोग कर एक अनोखे शौचालय का निर्माण किया। इस स्क्रैप सामग्री में एक खराब ऑटो को सुंदर 'शी टॉयलेट' मॉडल में बदला, जो सस्टेनेबल समाधान को बढ़ावा देता है।
राज्यों और नागरिकों के विभिन्न प्रयासों से यह प्रतीत होता है कि क्लीन टॉयलेट कैंपेन केवल सरकार की पहल नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी बन चुका है। बबलू महतो, प्रभास शाही और तुर्कयामजल नगरपालिका जैसे प्रेरणादायक उदाहरणों ने यह साबित किया है कि जन भागीदारी से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। 19 नवंबर से 25 दिसंबर, 2024 तक चलने वाले इस अभियान में सभी राज्य एक विशेष लक्ष्य ‘फंक्शनल, एक्सेसिबल, क्लीन, ईको-फ्रेंडली एवं सेफ’ (FACES) सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालय बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
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