अपनी प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध आदिवासी संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। जहां एक ओर यह राज्य अपने घने जंगलों, मनमोहक झरनों और राष्ट्रीय उद्यानों के लिए जाना जाता है, वहीं स्वच्छता के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ ने अपनी उपलब्धियों से अलग पहचान बनाई है। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के अंतर्गत स्वच्छ सर्वेक्षण 23-24 में राज्य के सात शहरों को मिली विशेष मान्यता, इसका जीवंत प्रमाण है। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर, पाटन और बिश्रामपुर जैसे शहर जो लगातार शीर्ष प्रदर्शन कर रहे थे, उन्हें सबसे स्वच्छ शहरों की नई ‘सुपर स्वच्छ लीग’ (SSL) का हिस्सा बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। स्वच्छता की दृष्टि से ‘प्रॉमिसिंग शहर’ बनी राज्य की राजधानी रायपुर हो या जनसंख्या आधारित अपनी-अपनी श्रेणियों में क्रमश: पहला, दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले बिल्हा, बिलासपुर और कुम्हारी शहर, सभी ने स्वच्छता के तमाम आयामों में प्रशंसनीय प्रदर्शन किया है। सबसे बड़ी उपलब्धि बिल्हा की है, जिसने सबसे कम आबादी वाले छोटे शहरों की श्रेणी में देशभर में सर्वश्रेष्ठ पायदान हासिल किया।
सर्वप्रथम बिल्हा नगर पंचायत की बात करें, तो वह अब 20 हजार से कम आबादी वाले सबसे छोटे शहरों की श्रेणी में देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का पुरस्कार प्राप्त कर चुका है। शहर में घर-घर से कचरा संग्रहण शत प्रतिशत सुनिश्चित किया गया, ‘स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता’ की मुहिम के तहत स्वच्छता दीदियों ने हर घर जाकर संवाद किया। 100% प्रतिशत अपशिष्ट प्रसंस्करण सुनिश्चित कर, कचरा संभावित स्थल (GVP) मुक्त वॉर्ड की अभिनव पहल की गई। स्वच्छ शौचालयों संग स्वच्छता लक्षित इकाइयां (CTU) चिन्हित कर उनका कायाकल्प किया गया। इतना ही नहीं, ‘वेस्ट टू आर्ट’ एवं ‘रिड्यूस रियूज रीसाइकल’ (3R) की दिशा में भी बेहतर काम कर शहर ने यह मुकाम हासिल किया।
बिलासपुर को तीन लाख से दस लाख तक जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में पूरे देश में द्वितीय पुरस्कार मिला है। इस शहर ने GPS आधारित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम लागू कर रियल टाइम मॉनिटरिंग संभव बनाई। My City ऐप के माध्यम से नागरिकों को शिकायत, ट्रैकिंग और समाधान की सुविधा दी। कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलेशन (C&D) वेस्ट प्लांट शुरू कर अवैध डंपिंग खत्म की गई। मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) और रिफ्यूज्ड ड्राइव्ड फ्यूल (RDF) प्लांट स्थापित कर सौ प्रतिशत अपशिष्ट प्रसंस्करण संभव बनाया और लैंडफिल पर निर्भरता को कम किया।
कुम्हारी, जिसे 20 हजार से 50 हजार तक जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में तृतीय पुरस्कार मिला है। स्वच्छता के लिए अभिनव प्रयासों के साथ-साथ इस शहर में सुंदरता को भी विशेष प्राथमिकताएं दी गईं। यहां थ्रीडी वॉल पेंटिंग, वर्टिकल गार्डन और नेटग्रीन स्पेस जैसे विभिन्न नवाचारों को अपनाया गया, साथ ही यहां पर्यावरण के अनुकूल सार्वजनिक स्थल एवं पार्क इत्यादि विकसित किए गए। इसी क्रम में ‘कबाड़ से जुगाड़’ की अवधारणा को भी बढ़ावा देकर इस्तेमाल के बाद अनुपयोगी हुई वस्तुओं को पुन: उपयोग में लाकर रचनात्मक संरचनाएं तैयार की गईं।
सर्वेक्षण में पहली बार शामिल हुई नई श्रेणी 'सुपर स्वच्छ लीग' (SSL) में छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर, पाटन और बिश्रामपुर ने ऐसे 23 शहरों के साथ जगह बनाई है, जो स्वच्छता की दिशा में निरंतर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह सम्मान उन शहरों को दिया गया है, जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में कम से कम एक बार शीर्ष तीन में स्थान प्राप्त किया है और वर्तमान वर्ष में अपनी संबंधित जनसंख्या श्रेणी में शीर्ष 20% में बने हुए हैं। इसके अंतर्गत अंबिकापुर ने 50 हजार से तीन लाख तक की जनसंख्या वाली श्रेणी में जगह बनाए रखी है। इस शहर को सबसे पहले स्वच्छता दीदियों से जुड़े प्रयासों के लिए सराहना मिली थी। इस पहल के चलते यहां सौ प्रतिशत कचरा संग्रहण एवं प्रसंस्करण में मदद मिली, साथ ही महिलाओं को सम्मान सहित आजीविका के अवसर मिले। ‘बिन फ्री सिटी’ बनाकर निगरानी के लिए यहां डिजिटल डैशबोर्ड और टैबलेट आधारित मॉनिटरिंग प्रणाली अपनाई गई। पाटन और बिश्रामपुर ने 20 हजार से कम आबादी वाले शहरों की एक ही श्रेणी में बने रहकर SSL में स्थान सुनिश्चित किया है। दोनों ही शहरों ने सौ प्रतिशत संग्रहण एवं प्रसंस्करण सुनिश्चित करने के साथ-साथ स्वच्छ शौचालयों को प्राथमिकता दी। स्वच्छता संग रीसाइक्लिंग एवं ‘वेस्ट टू आर्ट’ अपनाकर C&D वेस्ट से बनी कलाकृतियों एवं वॉल पेंटिंग्स के माध्यम से शहर संवारने का काम किया। सूचना, शिक्षा एवं संचार (IEC) की गतिविधियों की मदद से व्यवहार परिवर्तन पर विशेष बल दिया गया।
स्वच्छ सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर ने भी राष्ट्रीय स्तर पर अपने राज्य का मान बढ़ाया है। रायपुर को छत्तीसगढ़ के 'प्रॉमिसिंग (Promising) स्वच्छ शहर' का पुरस्कार मिला है, जिसके चलते वह ऐसे शहरों में शुमार हो गया है, जो स्वच्छता की दृष्टि से आशाजनक प्रदर्शन कर सबसे स्वच्छ शहरों की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के शहरों ने स्वच्छता को केवल एक प्रशासनिक ज़िम्मेदारी ही नहीं माना, बल्कि समग्र विकास की अहम प्रक्रिया के रूप में भी अपनाया, जिसमें तकनीकी इनोवेशन, नीति-निर्माण और जनभागीदारी का संतुलित समावेश है। देश की राष्ट्रपति से पुरस्कार, प्रोत्साहन एवं सम्मान मिलना, इस बात का प्रमाण है कि इन शहरों ने स्वच्छता को प्राथमिकता मानकर सामाजिक एवं पर्यावरण हितकारी उत्तरदायित्व के रूप में निभाया है। एक ही राज्य के सात शहरों को स्वच्छता के लिए मिले पुरस्कार यह भी दर्शाते हैं कि छत्तीसगढ़ और उसके शहर वास्तव में स्वच्छता के क्षेत्र में उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हैं।
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