Swachh Bharat Mission-Urban

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  Mission Updates 

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देश के हर हिस्से से विदेशों तक, सागर की गहराइयों से शिखर की ऊंचाइयों तक स्वैच्छिक श्रमदान

SBM-U के स्वच्छता ही सेवा 2025 में दिखे स्वच्छता और उत्सव से जुड़े संयुक्त प्रयासों के अभिनव स्वरूप

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की शुरुआत के बाद, इसे जनांदोलन बनाने और हर साल स्वच्छता का सामूहिक जश्न मनाने के लिए 2017 से ‘स्वच्छता ही सेवा’ (SHS) पखवाड़े की शुरुआत की गई। हर बार अलग थीम के साथ मनाया जाने वाला यह पखवाड़ा इस साल त्योहारों के मौसम के चलते ‘स्वच्छोत्सव’ पर आधारित रहा, जिसमें स्वच्छता के संग उत्सवों के रंग, सेवा पर्व और समर्पण का अटूट संगम देखने को मिला। 15 दिनों की इस अवधि में हर साल कई अभिनव पहल देखने को मिलती रही हैं, मगर इस बार कुछ ऐसे अनोखे प्रयास किए गए, जो कि सर्वाधिक चर्चा का विषय बने। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के अंतर्गत इस बार स्वच्छता ही सेवा 2025 में स्वच्छता और उत्सवों से जुड़े संयुक्त प्रयासों के अभिनव स्वरूप देखने को मिले, साथ ही सागर की गहराइयों से नदियों के तटों तक, रेगिस्तानी इलाकों से शिखर की ऊंचाइयों तक स्वैच्छिक श्रमदान का ध्वज लहराता नजर आया।





स्वच्छता ही सेवा 2025 की सर्वाधिक प्रभावशाली तस्वीरें इस बार समुद्र की गहराइयों से सामने आईं, जहां पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) ने रामेश्वरम की पाक खाड़ी में पानी के नीचे एक अनोखे सफाई अभियान का नेतृत्व किया। उन्होंने अपने ‘स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर’ अभियान के चौथे चरण को स्वच्छता ही सेवा 2025 से जोड़कर स्वच्छता के संदेश को नए स्तर पर पहुंचा दिया। यहां वैज्ञानिकों और स्कूबा डाइविंग स्वयंसेवकों ने एक साथ मिलकर समुद्र से प्लास्टिक के कचरे, मछलियों के जाल सहित अन्य तरह का मलबा साफ किया। यह प्रयास स्वच्छ एवं सुरक्षित सागर की दिशा में बढ़ाया गया महत्वपूर्ण कदम था, जिसके जरिए समुद्री जीवन पोषित करने वाली प्रवाल भित्तियों और समुद्री घास के आवासों की रक्षा की गई।

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भारत का स्वच्छता ही सेवा 2025 अभियान केवल हमारे देश तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि कई विदेशी शहरों में भी 4 अक्टूबर 2025 को स्वच्छता के लिए स्वैच्छिक श्रमदान किए गए। दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाउन में लैगून बीच पर समुद्र तट की सफाई की गई। केप टाउन स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास द्वारा CGI केप टाउन और पर्यावरण NGO ‘सेव ए फिशी’ के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में ICGS सचेत दल और भारत-दक्षिण अफ्रीका साझेदारी के लिए स्थानीय गर्ल स्काउट्स भी शामिल हुए। यहां स्वयंसेवकों को टेबल माउंटेन के सामने कचरा इकट्ठा किया, ताकि केप टाउन एक स्वच्छ एवं सुंदर वातावरण में समुद्री प्रदूषण के खिलाफ काम कर सके।




कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में ‘रूपम देहि, जयम देहि’ शीर्षक से आयोजित नृत्य प्रस्तुति दी गई, जिसमें सांस्कृतिक एकता के प्रतीक के रूप में ओडिसी, मणिपुरी और कथक जैसी भारतीय शास्त्रीय शैलियों का समन्वित प्रदर्शन शामिल रहा। दुर्गा पूजा उत्सव के एक भाग के रूप में आयोजित यह कार्यक्रम सरकार के स्वच्छता ही सेवा 2025 अभियान के साथ संरेखित रखा गया। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलने वाला यह राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान— स्वच्छोत्सव थीम के तहत, उत्सवों एवं पर्वों के दौरान विभिन्न कला प्रस्तुतियों के माध्यम से सेवा पर ज़ोर देते हुए आगे बढ़ाया गया।

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SHS 2025 अभियान के दौरान देशभर में लाखों स्वच्छता से जुड़ी पहल हुईं, लेकिन सबसे अधिक नागरिक भागीदारी वाले आयोजनों में विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश में आयोजित 'स्वच्छाथॉन' मैराथन शुमार रही। यह ‘स्वच्छ भारत दिवस’ यानी 2 अक्टूबर 2025 को गांधी जयंती के दिन पर इंदिरा गांधी म्यूनिसिपल स्टेडियम से शुरू हुई, जिसमें 10,000 से अधिक नागरिकों ने भाग लिया। इस आयोजन में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों सहित प्रमुख हस्तियों मंत्रियों ने भी शिरकत की। यह मैराथन दौड़ स्वच्छता संबंधी जागरूकता पर आधारित रही, जिसने शहरवासियों को विभिन्न गीत-संगीत सहित अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से स्वच्छोत्सव थीम के बारे में अवगत कराया।





स्वच्छता ही सेवा 2025 के अंतर्गत 30 सितंबर 2025 को कर्नाटक के SSS हुबली रेलवे स्टेशन पर शुरू की गई वॉल पेंटिंग पहल ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। स्वच्छता को उत्सव के रूप में दर्शाने वाली इस गतिविधि में 40 से अधिक कलाकारों ने स्वच्छता ही सेवा 2025 अभियान के तहत भाग लिया। यहां स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्लास्टिक विरोधी और रीसाइक्लिंग विषयों पर आधारित चित्र दीवारों पर उकेरे गए। चित्रों में मुस्कुराती हुई धरती, ‘प्लास्टिक को ना कहें’ जैसे संदेश के साथ कपड़े के थैले पकड़े लोग, पर्यावरण के अनुकूल ट्रेनें शामिल रहीं। स्वच्छता संबंधी शिक्षा को स्टेशन के सौंदर्यीकरण के साथ जोड़ने वाली इन पहलों ने सोशल मीडिया पर 21,000 से अधिक दर्शकों को आकर्षित किया।

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हरियाणा के मानेसर शहर स्थित श्री चैतन्य स्कूल के छात्र-छात्राओं ने नगर निगम के सहयोग से सफायर 83 मॉल में SHS 2025 के अंतर्गत एक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से शहरवासियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। इस दौरान सोर्स सेग्रिगेशन के तहत गीला-सूखा कचरा अलग-अलग रखने, प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या और बेहतर माहौल बनाने में नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर जागरूकता फैलाई गई। इसमें 50 से ज़्यादा छात्रों ने हिस्सा लिया और मानव श्रृंखला बनाकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। उनके हाथों में "स्रोत पर ही कचरा अलग करें" जैसे संदेश के साथ बैनर दिखाई दिए। यहां छात्रों ने मॉल में आने वाले लोगों को शिक्षा और मनोरंजन का अनुभव एक साथ देने के लिए इंटरैक्टिव प्रदर्शनों के ज़रिए आकर्षित किया।




SHS 2025 में इस बार की थीम – स्वच्छोत्सव को ध्यान में रखते हुए देशभर के शहरों में स्वच्छता को पर्वों एवं उत्सवों से जोड़ा जा रहा है। इसी क्रम में राजस्थान के जयपुर में गरबा पंडाल में स्वच्छोत्सव के तहत स्वच्छता से जुड़े संदेश दिए गए। इस तरह से ईको-फ्रेंडली पंडाल लगाए गए, वोकल फॉर लोकल की अवधारणा के साथ स्थानीय विक्रेताओं से ईको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स खरीदने की अपील की गई। पूजा पंडालों और धार्मिक यात्राओं से पहले और बाद में सफाई सुनिश्चित की जा रही है। सभी इवेंट्स को जीरो वेस्ट आधारित रखा गया है, ताकि स्वच्छता के संग पर्वों और उत्सवों का आनंद लिया जा सके।

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अभियान के तहत सफाईमित्रों सहित उनके परिवारों के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए शिविर लगाए गए, जिनमें उनकी स्वास्थ्य जांच की गई। इसी कड़ी में IIM लखनऊ की ओर से भी सफाईमित्र सुरक्षा शिविर लगाया गया, जिसके माध्यम से सफाईमित्रों को सभी सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा गया, जिनके लिए वह या उनके परिवार के सदस्य पात्र हैं।




इसके अलावा अभियान के प्रमुख हिस्से के रूप में स्वच्छता लक्षित इकाइयों (CTUs) के तहत ऐसे डार्क स्पॉट्स, कचरा स्थल या लेगेसी वेस्ट डंपसाइट्स को रूपांतरण के लिए चुना गया है, जो लंबे समय से चुनौती बने हुए थे। बिहार के बेतिया में इस बार एक ऐसी स्वच्छता लक्षित इकाई को स्वच्छ एवं सुंदर स्थान में परिवर्तित किया गया, जहां पहले बहुत बदहाल स्थिति थी। इस बार ऐसे बड़े डंपसाइट्स को खत्म करने के लिए सालभर अभियान चलेंगे, जिनको 15 दिनों के दौरान पूरी तरह से साफ करना मुश्किल है।

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