उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहा ‘स्वच्छ महाकुंभ 2025’ केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। हर कोई इस बार संगम के तट पर गंगा के जल में आस्था की डुबकी लगाने का प्रयास कर रहा है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने का एक बड़ा कारण रहा है, विशेष संयोग पर महाकुंभ का भव्य आयोजन। 2019 की तरह इस वर्ष भी ‘स्वच्छ, सुंदर और स्तरीय व्यवस्थाएं’ भी चर्चा के केंद्र में रही हैं। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी निरंतर दोहराया है कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों की स्वच्छता सफाईमित्रों के संपूर्ण समर्पण के बिना संभव नहीं है। ठीक उसी तरह महाकुंभ 2025 में आयोजन की भव्यता का श्रेय अगर एक ओर केंद्र एवं राज्य की सरकारों को जाता है, तो दूसरी ओर स्वच्छ एवं सुंदर व्यवस्थाओं में सबसे अहम योगदान हमारे सफाईमित्रों का रहा है, जो दिन-रात स्वच्छ महाकुंभ सुनिश्चित करने में जुटे हैं।
मेला क्षेत्र में स्वच्छता के लिए सफाईमित्रों का समर्पण किसी से अछूता नहीं रहा है, मगर महाकुंभ में इस बार सफाईमित्रों एवं उनके परिवार के लिए जो व्यवस्थाएं एवं सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं, वह भी उच्च स्तरीय रही हैं। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय भी अपने स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रयागराज नगर निगम के माध्यम से स्वच्छ महाकुंभ के अनुभव बेहतर बनाने में जुटा है। महाकुंभ में स्वच्छता सुनिश्चित कर रहे सफाईमित्रों के परिवारों का कहना है कि उन्होंने इस वर्ष महाकुंभ में आपसी समरसता और श्रद्धालुओं में सफाईमित्रों के प्रति सम्मान को लेकर अद्वितीय भाव महसूस किए हैं। यही वजह है कि खुद सफाईमित्र और उनके परिजन इस वर्ष के महाकुंभ को स्वच्छता, समरसता और सम्मान का अद्भुत संगम बता रहे हैं। आइए इस रिपोर्ट में सुनें, महाकुंभ में मिले अनोखे अनुभवों की कहानी खुद सफाईमित्रों की जुबानी:
महाकुंभ में सेवा का अवसरों मिलने पर सफाईमित्रों के परिजन खुद को भाग्यशाली बता रहे हैं। एक सफाईमित्र की पत्नी राधा महतो का कहना है कि उनके पति कुंभ में सफाईकर्मी के तौर जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इस दौरान उन्हें मेला क्षेत्र में रहने के लिए ‘सैनिटेशन टेंट कॉलोनी’ में जगह मिली हुई है, जहां में आराम से भोजन तैयार कर पति को ड्यूटी और बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल भेजती हैं। आपको सुनकर भले ही हैरानी हो रही हो, मगर यह वास्तविकता है कि महाकुंभ मेले में सेवारत अपने माता-पिता के साथ ठहरे बच्चों की पढ़ाई न छूटे इसके लिए मेला क्षेत्र में ‘विद्या कुंभ’ नामक स्कूल चल रहा है, जहां सफाईमित्रों के परिवार नियमित रूप से अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज रहे हैं। सरकार से मिली सभी तरह की सुविधाओं के लिए धन्यवाद करते हुए आगे राधा कहती हैं कि वह यहां बहुत सुरक्षित महसूस कर रही हैं। उनका कहना है कि सफाईमित्र यहां काम भी कर रहे हैं और ड्यूटी खत्म होने पर बच्चों को स्कूल से लेकर एक साथ घूमते हैं और मेले का आनंद भी लेते हैं, हालांकि उनका परम ध्येय स्वच्छता सेवाएं देना ही है क्योंकि वे सर्वप्रथम यहां सेवा करने ही आए हैं।
महिला सफाईमित्र आरती सोनी कहती हैं कि हमारी तरह सभी गंगा सेवा दूत भी मेला क्षेत्र के विभिन्न गंगा तटों पर अपनी जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं। हम लोग सफाई तो सुनिश्चित कर ही रहे हैं, साथ ही श्रद्धालुओं को निरंतर जागरूक कर रहे हैं कि गंगा जल में कपड़े न धोएं। साथ ही ईको फ्रेंडली उत्पादों का उपयोग करें और कचरे के रूप में निकलने वाले उपयोग किए हुए डिस्पोजल आदि को डस्टबिन में ही डालें। उनका कहना है कि सफाईमित्र यहां से जो कचरा हटा रहे हैं, उसे मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर्स पर पहुंचाकर अलग-अलग करके पुन: उपयोग में लाने योग्य बनाया जा रहा है। इतना ही नहीं, महाकुंभ में ड्यूटी पर तैनात सफाईमित्रों के लिए विशेष इंतजामों के साथ-साथ बीमा आदि की सुविधा भी दी है।
बांदा जिले से महाकुंभ के सेक्टर-24 में सेवा देने पहुंचे सफाईमित्र सुनील अपनी भूमिका को पूरे समर्पण से निभा रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार जब वह काम के लिए महाकुंभ आ रहे थे, तब उनके मन में भी सवाल था कि बच्चों का क्या होगा, कैसे रहेंगे! वह अपने घरों से काफी दूर हैं, ऐसे में यहां चले आने के बाद उनके बच्चों की देखभाल कौन करेगा? लेकिन यहां आने के बाद देखा कि सफाईमित्रों के रहने के साथ-साथ बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय की व्यवस्था की गई है, तो उन्हें इस महाकुंभ की व्यवस्थाएं वास्तव में अद्भुत प्रतीत हुईं।
फतेहपुर जिले से महाकुंभ सेक्टर-24 में ड्यूटी के लिए पहुंचे सफाईमित्र सोनू ने बताया कि वह मेला क्षेत्र में बनाई गई सैनिटेशन कॉलोनी में ही रहते हैं। वहां सरकार द्वारा लगातार हर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, सफाईमित्रों को अच्छे काम के लिए प्रोत्साहन और विशेष सम्मान भी मिल रहा है। कॉलोनियों में हमें केवल ठहरने की जगह ही नहीं मिली, बल्कि नियमित राशन, शुद्ध पेयजल और चिकित्सा की सुविधाएं भी दी जा रही हैं। इसके अलावा सफाईमित्रों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का काम भी किया जा रहा है।
आस्था के अद्भुत महाकुंभ के साक्षी बन रहे श्रद्धालुओं की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आना भले ही बेहतर सुविधाओं और व्यवस्थाओं का दर्शाता है। मगर वह सफाईमित्र, जो महाकुंभ में मेहमानों के स्वागत के लिए आंगन सजाते समर्पित मेजबानों की भूमिका निभा रहे हैं, उनके अनुभव भी प्रशासन के प्रयासों की सफलता को प्रमाणित करते हैं। पिछले कुंभ मेले से ‘कर्मयोगी’ की संज्ञा देते हुए सफाईमित्रों के पैर धोकर सम्मान करते माननीय प्रधानमंत्री की तस्वीरें सामने आईं, जो सेवा के प्रति सम्मान की अनंत भावनाओं को प्रकट करने का संदेश था। इस बार बेहतर साफ-सफाई व्यवस्थाओं से प्रभावित होकर एक महिला सफाईमित्र के पैर छूकर सम्मान देते हुए एक श्रद्धालु की तस्वीरों ने आंखों को सुकून देने का काम किया। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह महाकुंभ वास्तव में स्वच्छता, समरसता और सम्मान के भावों का अनूठा संगम है।
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