महाकुंभ 2025 को स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में प्रयागराज नगर निगम द्वारा पूरी प्रतिबद्धता के साथ कदम बढ़ाए जा रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए संतों के सर्वोच्च संगठन अखाड़ा परिषद् ने भी महाकुंभ 2025 के आयोजन को प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। इस वर्ष स्नान के मुख्य दिनों में महाकुंभ मेला क्षेत्र में पांच करोड़ श्रद्धालुओं एवं स्थायी रूप से 50 लाख कल्प वासियों के ठहरने का अनुमान है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को साधने की दिशा में कार्य योजना तैयार कर मिशन मोड में काम शुरू किया जा चुका है।
The 25th Hornbill Festival, celebrated as the “Festival of Festivals,” has taken a significant step towards sustainability this year by going Zero-Waste and Single-Use Plastic (SUP)-Free. Known for showcasing Nagaland’s rich culture, music, and traditions, the festival is setting a powerful example in eco-friendly event management. With daily footfall exceeding 2 lakh visitors, this initiative marks a significant milestone in promoting environmental conservation and sustainable practices.
The Ministry of Housing and Urban Affairs launched the Clean Toilet Campaign on November 19, 2024, under the Swachh Bharat Mission-Urban 2.0. The five-week initiative, running until December 25, 2024, has gained significant momentum across the country. Chandigarh, known as the Garden City, is receiving recognition for its innovative use of technology to enhance the cleanliness and facilities of its community and public toilets.
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विभिन्न राज्यों में स्थानीय शहरी निकायों द्वारा सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण एवं उनकी देखरेख के संदर्भ में कई अनोखे प्रयास किए जा रहे हैं। इस वर्ष क्लीन टॉयलेट कैंपेन की थीम ‘स्वच्छ शौचालय हमारी जिम्मेदारी’ पर आधारित है। देश भर से लाखों सफाईमित्र, केयरटेकर आदि अलग-अलग भूमिका में प्रतिदिन अपनी भागीदारी दर्ज कर रहे हैं।
देश भर के शहरों में स्वच्छता किस तरह ‘हर पर्व में अपनाए जाने वाला संस्कार’ बन चुकी है, इसकी झलक अब हमारे सभी पर्वों में स्पष्ट रूप से नजर आती है। हाल ही में स्वच्छ छठपूजा महापर्व संपन्न हुआ है, दूसरी ओर स्वच्छ कार्तिक मेलों का शुभारंभ भी हो चुका है। उत्सवों के दौरान हमारे शहरी स्थानीय निकाय संपूर्ण समर्पण से हर पर्व ‘स्वच्छ और सुरक्षित’ बनाने में जुटे हैं। स्वच्छता के प्रति सफाईमित्रों की प्रतिबद्धता से स्वच्छ पर्वों की श्रृंखला बन रही है और हर पर्व से स्वच्छता की कड़ी जुड़ रही है।
The Laltipara Gaushala in Gwalior marks a significant milestone with the establishment of India’s first modern, self-reliant Gaushala featuring a Bio CNG plant, in collaboration with Indian Oil Corporation. This innovative project is aligned with Prime Minister Shri Narendra Modi’s “Waste to Wealth” vision, aiming to convert cow dung into renewable energy and organic manure, promoting sustainability and reducing carbon emissions.
हमारे सबसे बड़े त्योहार दिवाली के दौरान व्यापक स्तर पर होने वाले उत्सवों के बाद बहुत सारा कचरा निकलता है, जिसके चलते देश भर के शहरों में बेहतर स्वच्छता व्यवस्थाएं बनाए रखना चुनौतीपूर्ण काम होता है। मगर इसके बावजूद हमारे शहर स्वच्छता का स्वभाव अपने संस्कारों में उतार कर इस बड़ी चुनौती का प्रशंसनीय तरीके से सामना कर रहे हैं। बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए हमारे शहरों में न सिर्फ त्योहारों से पहले सफाई की जा रही है, बल्कि उत्सवों के दौरान और पर्व का जश्न संपन्न होने के बाद भी संपूर्ण समर्पण के साथ काम किया जा रहा है।
In the heart of Gujarat, Gandhinagar has long stood as a beacon of swachhata and sustainability. With its dedication to the Swachh Bharat Mission and active participation in the Swachh Survekshan, the city has embraced a culture of cleanliness that resonates deeply within its community.
The recently concluded MoHUA-led Swachhata Hi Sewa campaign under the Swachh Bharat Mission-Urban gained strong traction across the nation, with the Northeastern States leading the charge in improving health and sanitation, especially as the festive season approached. These States are taking innovative steps to promote circular economy, prioritizing swachhata through a variety of proactive initiatives.
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत हाल में हुआ ‘स्वच्छता ही सेवा’ पखवाड़ा पूरे देश में चर्चित रहा। पखवाड़े की थीम ‘स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता’ रही। थीम का लक्ष्य समाज के हर वर्ग में स्वच्छता को एक नई सोच और संस्कारों में समाहित करना था। स्वच्छता के प्रति समर्पण को दर्शाने वाली ढेरों प्रेरणादायक तस्वीरें सामने आईं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि हर नागरिक अपने स्वभाव में स्वच्छता को लाने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी के संस्कारों में भी स्वच्छता को स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता’ को चरितार्थ करते हुए विभिन्न राज्यों की दुर्गा पूजा में भी इसकी झलक दिखी।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन को समर्पित वार्षिक पखवाड़े ‘स्वच्छता ही सेवा’ की एक बार फिर हर ओर धूम रही। यह देशव्यापी पखवाड़ा इस वर्ष ‘स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता’ की थीम पर आधारित रखा गया था, जिसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग में स्वभाव परिवर्तन लाकर स्वच्छता को संस्कारों में पिरोना रहा। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए देश के सभी राज्यों में समाज का हर वर्ग चुनौतीपूर्ण ‘स्वच्छता लक्षित इकाइयों (CTUs)’ को संवारने में जुट गया। पखवाड़े में आमजन की यह व्यापक भागीदारी सही मायने में ‘स्वच्छता ही सेवा’ का वास्तविक अर्थ समझा रही है।
Maharashtra is raising the bar for eco-friendly Ganeshotsav celebrations this year, launching a series of State-wide initiatives aimed at ensuring both joyful festivities and stringent cleanliness standards. The BMC, NMMC and PCMC have implemented comprehensive strategies to ensure that the festival is celebrated with commitment to sustainability and effective waste management.
Andhra Pradesh’s Kakinada city excels in waste management with around 112,993 households. The city uses advanced technology such as RFID, facial recognition, GPS, and HRMS to efficiently oversee waste collection and transportation, effectively preventing inefficiencies and leaks.
दुनिया भर के देशों के सामने आज भी हर तरह का कचरा प्रबंधन चुनौती बना हुआ है। वहीं सैकड़ों वर्षों तक खत्म नहीं होने वाला ‘प्लास्टिक वेस्ट’ भी उचित प्रबंधन के अभाव में जानलेवा साबित हो रहा है। हालांकि हमारे देश में आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत 'रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल (3आर)' की अवधारणा अपनाकर कई 'प्लास्टिक वेस्ट रिसाइकिलिंग कंपनियां' स्वच्छता के मिशन को नया आयाम दे रही हैं।
वाराणसी के घाटों पर विभिन्न पावन अवसरों पर लाखों लोग स्नान करने आते हैं और स्नान के बाद अपने वस्त्र घाट पर छोड़ देते हैं। घाट पर स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 (SBM) के अंतर्गत कई अच्छे पहल की नींव रखी। जिसके अंतर्गत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, प्रयुक्त जल प्रबंधन, फीकल स्लज मैनेजमेंट जैसी कई चुनौतियों का निपटारा किया गया है। मानसून के दौरान घाट पर नगर निगम द्वारा सफाई अभियान का दौर तेज रफ्तार पकड़ चुका है।
The Safai Apnao Bimaari Bhagao campaign is gaining significant momentum across India, with the North Eastern States of Arunachal Pradesh, Nagaland, Assam, Sikkim, and Tripura taking a leap in enhancing health and sanitation during the monsoon season.
हर साल सावन के महीने में लाखों श्रद्धालुओं द्वारा कई राज्यों में बड़े स्तर पर कांवड़ यात्रा निकाली जाती है। स्वच्छता का हर जगह विशेष महत्व होता है, ऐसे में कांवड़ यात्रा के दौरान सभी संबंधित राज्यों में बेहतर स्वच्छता व्यवस्थाएं मुहैया कराई गईं। स्वच्छता समेत कई तरह की जिम्मेदारियां शहरी स्थानीय निकायों ने बखूबी निभाईं। इस साल कांवड़ यात्रा पर आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के अंतर्गत चल रहे ‘सफाई अपनाओ, बीमारी भगाओ’ (SABB) अभियान का भी काफी असर देखने को मिला।
Under the Safai Apnao Bimaari Bhagao campaign initiated by the Ministry of Housing and Urban Affairs (MoHUA), cities from the heart of the capital to the serene valleys of Kashmir have undergone substantial preparations to weather the monsoon challenges effectively. Across hilly terrains, sprawling plains, arid deserts, and picturesque coastlines, the campaign has spurred comprehensive sanitation initiatives. These efforts are not only enhancing the quality of sanitation services but also bolstering public health measures during the monsoon season. Communities everywhere are witnessing special cleanliness initiatives, driven by collaborative efforts among citizens. Together, they are championing a mass movement towards a clean, healthy, and safe monsoon season.
मानसून से पहले स्वच्छता की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) के स्वच्छ भारत मिशन- शहरी (SBM-U) ने “सफाई अपनाओ, बीमारी भगाओ” अभियान की शुरुआत की। इस कैंपेन के तहत स्वच्छ सर्वेक्षण के महत्वपूर्ण घटक बैकलेन क्लीनिंग पर विशेष रूप से जोर दिया जा रहा है। इस अभियान में स्वच्छता और बीमारियों से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए लाखों लोग एकजुट हो कर भाग ले रहे हैं।
अमरनाथ यात्रा के दौरान इस साल तीर्थ यात्रियों को कुछ अलग ही तरह के अनुभव मिल रहे हैं क्योंकि यात्रा मार्गों पर ‘आस्था’ के साथ ‘स्वच्छता की गूंज’ भी सुनाई दे रही है। कश्मीर के विभिन्न हिस्सों, जम्मू और श्रीनगर में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के अंतर्गत ‘सफाई अपनाओ, बीमारी भगाओ’ (SABB) चल रहा है। साथ ही, इस बार ‘ग्रीन श्री अमरनाथ जी यात्रा 2024’ का आयोजन भी स्वच्छता की थीम पर आधारित रखा गया है। ऐसे में अमरनाथ यात्रा में स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए सभी यात्री निवासों में स्वच्छता के विशेष इंतजाम देखने को मिल रहे हैं और निरंतर स्वच्छता संबंधी गतिविधियां भी आयोजित की जा रही हैं।
Behavioural change is key to revolutionizing waste management and mitigating health risks associated with monsoon. Under the Swachh Bharat Mission, many cities are encouraging citizens to adopt zero-waste lifestyle, transforming communities into zero-waste societies. The SABB campaign is helping to promote clean housing societies and healthy citizens.
बल्क वेस्ट जनरेटर्स ऐसी इकाइयां होती हैं, जहां से प्रतिदिन सौ किलो से ज्यादा कचरा निकलता है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अनुमान के अनुसार बीडब्ल्यूजी इकाइयों की वजह से शहरों पर तेजी से कचरे का बोझ बढ़ता है, जो वर्तमान में देशभर के शहरों से निकलने वाले कुल डेढ़ लाख टन कचरे का 30 से 40 प्रतिशत तक है। इस तरह देशभर के शहरों में हर दिन 48 से 64 हजार टन कचरा बीडब्ल्यूजी से आता है। मगर अब शहरों के हालात बदल रहे हैं, जहां बीडब्ल्यूजी अपने अद्भुत प्रयासों से समाधान की राह दिखाकर कचरा प्रबंधन की नई दिशा तय कर रहे हैं।
वर्ष 2019 में स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण में पूरे देश में एक मजबूत संदेश गया कि सफाईमित्र हमारे समाज का एक अभिन्न अंग हैं और उनके काम को मान्यता, सम्मान और सुरक्षा देने की आवश्यकता है। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के दिशा निर्देश के तहत सफाई मित्रों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित कर सुरक्षात्मक उपकरणों की उपलब्धता, प्रशिक्षण और जागरूकता के माध्यम से सफाई मित्रों की सुरक्षा के मार्ग प्रशस्त किए जा रहे हैं।
"When an individual throws flowers into the river, [he] thinks, ‘what harm can a handful of flowers cause?’ But we are a country of more than a billion people, so imagine the effect.”, reveals Nachiket Kuntla, head of research and development at Phool.co. a startup that recycles floral waste and converts it into a new product.
Gulmarg, a renowned skiing destination in Jammu & Kashmir, hosted the 4th edition of the Khelo India Winter Games, from 21st to 25th February 2024. The initiative was spearheaded by the Municipal Corporation of Tangmarg/Gulmarg. Boasting of a swachh event, the 4-day national event was attended by nearly 800 delegates & participants. Before the start of the 4th Edition of Khelo India Winter Games, specific sanitation drives were conducted and over 6 tons of waste was collected as a result of these initiatives.
स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 में महू कैंटोनमेंट बोर्ड को ‘सबसे स्वच्छ कैंटोनमेंट बोर्ड’ के लिए पुरस्कृत किया गया। महू कैंट के इस मुकाम तक पंहुचने की यात्रा पर एक नज़र डालें तो 2020 में 62 कैंटों में 7वां स्थान हासिल कर ‘सेल्फ सस्टेनेबल कैंटोनमेंट बोर्ड’ का खिताब जीता। 2022 में, आगे बढ़ते हुए तीसरा स्थान हासिल किया साथ ही ‘गार्बेज फ्री सिटीज रेटिंग’ (जीएफसी) यानी कचरा मुक्त शहरों की श्रेणी में ‘1 स्टार रेटिंग’ और ओपन डेफिकेशन फ्री (ओडीएफ) सर्टिफिकेशन में महू कैंट को ODF++ सिटी घोषित किया गया।
‘नारी शक्ति’ थीम के मुताबिक 75वें गणतंत्र दिवस पर हमारे देश की नारी शक्ति ने अद्भुत प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में नारी-शक्ति के योगदान, खास तौर पर स्वच्छता में महिला नेतृत्व को सराहा। आज हमारा देश ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को ‘जन आंदोलन’ में बदलकर नई ऊंचाइयों को छू रहा है, जिसमें नारी शक्ति का भी अहम योगदान है। ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ के उपलक्ष्य में इस बार आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत शहरों में स्वच्छता का परचम लहराने वाली ऐसी ही कुछ महिला लीडर्स की स्वच्छता यात्रा के साक्षी बनें।
On the back of pathbreaking initiatives in solid waste management, waste processing and innovations in waste to wealth practices by recycling used items, effective and sustainable water treatment facilities, Vijayawada has set the bar high for urban swachhata. These initiatives have earned the city a Water+ tag along with 6th rank in Swachh Survekshan 2023 and a 5-star GFC rating.
Tirupati, the largest ULB in Andhra Pradesh's Chittoor district, ranked 8th in cleanliness among cities with over 1 lakh population in Swachh Survekshan 2023. It boasts of a 5-star Garbage Free City (GFC) rating and Water plus certification, making it the cleanest State capital. Tirupati highlights robust waste management & processing practices that are transforming its spaces.
लोनावला ने चौथे पायदान से ऊपर बढ़ते हुए ‘1 लाख से कम आबादी’ वाले शहरों की श्रेणी में तीसरे पायदान पर अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। स्वच्छ सर्वेक्षण के 8वें सीजन के अंतर्गत 4500 से ज्यादा शहरों का मूल्यांकन किया गया। देश के स्वच्छ राज्यों की श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले महाराष्ट्र के कई शहरों ने अपनी जगह बनाई। लोनावला को ‘गार्बेज फ्री सिटीज रेटिंग’ (जीएफसी) यानी कचरा मुक्त शहरों की श्रेणी में भी ‘3 स्टार रेटिंग’ प्राप्त हुई है।
Apart from being ranked 7th in the Swachh Survekshan 2023, New Delhi earned 5-Star Garbage Free City and Water+ certifications on the back of robust monitoring system and strategic integration of innovative technologies to optimize waste management processes. The story of NDMC's success on Swachhata parameters is exemplary.
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत शहरों का तेजी से कायाकल्प देखने को मिल रहा है। महाराष्ट्र के सासवड शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के तहत ‘1 लाख से कम आबादी’ वाले शहरों में ‘सबसे स्वच्छ शहर’ का पुरस्कार मिला है। सासवड ने स्वच्छता की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाते हुए अपने अद्भुत प्रयासों के दम पर स्वच्छता रैंकिंग में तेजी से सुधार किया और साल भर में स्वच्छ सर्वेक्षण के 15वें स्थान से शीर्ष पायदान तक का सफर तय किया। इस शहर को ‘गार्बेज-फ्री सिटीज’ (जीएफसी) यानी कचरा मुक्त शहरों की श्रेणी में भी ‘3 स्टार रेटिंग’ प्राप्त हुई है।
The diligent endeavours of the Bhopal Municipal Corporation have had a noticeable impact on Swachh Survekshan-2023. Moving up from the 6th position in 2022, Bhopal is now the 5th cleanest city among those with a population of over 1 lakh. Bhopal has also been awarded a 5-star Garbage Free City (GFC) rating, making it the cleanest State capital in the country.
Acting as a key driver of the Organic Bio-Agro Resources Dhan (GOBARdhan) scheme, the Indore Bio-CNG plant has been converting waste into energy and consistently producing nearly 15 metric tonnes of Compressed Bio-Gas daily. Asia’s largest municipal solid waste based GOBARdhan plant is thus strengthening sustainable economic growth and promoting circular economy at a grand scale.
India's recycling rate is higher as compared to other countries due to the age-old practice of reusing and recycling. Due to the various path breaking initiatives taken by civic bodies, the waste which is picked from households and other areas, is getting recycled and reused leading to transformation in the lives of stakeholders by generating employment opportunities, empowerment of underprivileged, apart from environmental preservation.
एसबीएम-यू 2.0 के तहत अपशिष्ट प्रबंधन के लिए विभिन्न संसाधन विकसित किए जा रहे हैं। सीएंडडी वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट भी उन संसाधनों में से हैं, जहां निर्माण कार्यों और अवैध निर्माण ढहाने के दौरान निकलने वाला मलबा पहुंचता है। इस कचरे को नया आकार देकर सीएंडडी वेस्ट प्लांट 'वेस्ट टू वेल्थ' अवधारणा का एक जीवंत उदाहरण पेश कर रहे हैं। लोग आमतौर पर यह नहीं जानते हैं कि सीएंडडी वेस्ट प्लांट्स कैसे काम करते हैं और रिड्यूस रिसाइकल रियूज (3आर) की अवधारणा को अपनाकर मलबे को ईंटों, पेवर ब्लॉक और टाइल्स में कैसे परिवर्तित किया जाता है। आइए सीएंडडी वेस्ट प्लांट पर टीम स्वच्छ के साथ एक दिन बिताएं और विस्तार से समझें।
शिल्प कौशल को “वोकल फॉर लोकल” मुहिम द्वारा एक नई जान और दिशा प्राप्त हुई। जिससे पर्यावरण का संरक्षण, जीवनशैली में व्यवहार परिवर्तन और स्थानीय रूप से निर्मित उत्पादों को चुनने, एकल-उपयोग प्लास्टिक से मुक्त स्वच्छता के लिए संवेदनशील पर्यावरण और समुदायों के प्रति जिम्मेदारी की भावना पैदा करना है।
एक समय था, जब साल 2014 में स्वच्छ भारत मिशन के साथ ‘खुले में शौच से मुक्त’ भारत बनाने की मुहिम छेड़ी गई। 2019 में यह लक्ष्य हासिल कर लिया गया और ‘हर घर शौचालय’ सुनिश्चित करते हुए आकांक्षी शौचालयों की प्रतिस्पर्धा शुरू की गई। आज हमारे देश में महिलाओं, दिव्यांगों और ट्रांसजेंडर्स के लिए भी ‘आकांक्षाओं के अनुरूप’ शौचालय बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इतना ही नहीं, देश भर के शहरों में वर्तमान समय में बुजुर्गों और बच्चों के लिए भी कई जगह शौचालयों में विशेष सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस तरह से स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के अंतर्गत 'सभी के लिए' स्वच्छ, सुरक्षित और सुचारू शौचालय सुनिश्चित किए जा रहे हैं।
Hygiene and sanitation are undoubtedly crucial aspects of modern urban infrastructure and ease-of-living. One of the key focus areas under sanitation is the availability and maintenance of toilets. Swachh Bharat Mission Urban brought a significant transformation in urban toilet infrastructure. Following Prime Minister Narendra Modi's call for a clean India, the issue of open defecation was addressed, and the construction and use of toilets became a top priority.
Urban sanitation has fostered a sense of responsibility for sustainable practices during the festive season. With Diwali and Chhath round the corner, the nation gears up to ensure environment-friendly festivals and celebrations. Initiatives such as Nirmalya Vahan, Gift Swap Mela, Zero Waste Festival Deep Mahotsav have become drivers of swachhata this festive season.
Beaches in urban India are widely recognized as popular tourist destinations all year round. The coastal areas of Visakhapatnam, Mumbai, Chennai, Goa, Kerala, Odisha have gained significant attention from tourists worldwide, leading to a substantial influx of visitors. The presence of these pristine beaches not only serves as a source of income for many coastal communities but also plays a crucial role in boosting the local economy.
रिड्यूस, रीयूज़ और रीसायकल - RRR आज के जीवन का नया मंत्र है। मनुष्य के जीवन में चल रही हलचल के बीच एक ठहराव का समय आ रहा है। जी हां आरआरआर की पहल से आम लोगों के व्यवहारिक जीवन में बहुत बदलाव आ रहा है। सामान्य घरेलू सामानों का पुन: उपयोग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। इसी संस्कृति से प्रेरणा लेते हुए लोगों ने अपनी जड़ों की तरफ वापस रुख कर लिया है।
It is that time of the year again, when vibrant festivities fill the air! From Ganesh Chaturthi to Dussehra, from Diwali to Chhath Pooja, these festivals hold immense significance in every Indian household. In a manner akin to the concept of swachhata, festivals have played a pivotal role in instigating behavioral transformations and lifestyle changes. India is also host to numerous festivals that advocate for sustainable practices in order to maintain harmony with the environment.
आज भले ही वेस्ट मैनेजमेंट दुनिया के सामने चुनौती बना हुआ है और इसका हल निकालने के लिए तमाम तरीके आजमाए जा रहे हैं। मगर स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के अंतर्गत वेस्ट मैनेजमेंट की दिशा में हमारा देश काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इन उपलब्धियों में हमारे देश की समृद्ध और सशक्त विरासत का बेहद अहम योगदान है, क्योंकि हमारे देश में पुराने समय से ही घरों में रसोई का गीला कचरा अलग रखकर खाद बनाने का अभ्यास निरंतर चलता आ रहा है। ठीक उसी तरह से आज ज्यादातर घरों में होम कंपोस्टिंग की प्रक्रिया आम हो चुकी है, जो कि गीले कचरे को खत्म करने के सबसे असरदार तरीकों में से एक है।
Leh has taken a pioneering step in urban India by introducing a 'free wash' facility for its sanitation workers. Situated in Skampari, this is accessible for all sanitation workers on everyday basis. It includes separated toilet blocks for both men and women, a recreation room equipped with seating and a TV for relaxation, and a laundry area complete with automatic washing machines.
स्वच्छता के बिना बेहतर स्वास्थ्य संभव नहीं और अच्छे स्वास्थ्य के लिए उन बाजारों की स्वच्छता बेहद महत्वपूर्ण है, जहां से हम खाने-पीने का सामान लाते हैं। मगर बाजारों में स्वास्थ्यवर्धक दिखने वाला भोजन भी अस्वास्थ्यकर हो सकता है, ऐसा तब होता है जब वह भोजन ‘अस्वच्छ’ हो या हमारे बाजारों में ‘अस्वच्छता’ हो। इसलिए बाजारों की स्वच्छता सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है और स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत देशभर के शहरों में बाजार स्वच्छ रखने की दिशा में कई तरह के प्रशंसनीय प्रयास भी हो रहे हैं।
Gen Z's innovative approach to waste management highlights their commitment to the environment. With proactive initiatives, they drive positive change towards sustainability. Meanwhile, Gen Alpha's eco-consciousness and tech-savviness lead them to seek toys made from creatively recycled materials, showcasing their forward-thinking mindset.
Innovative toilets equipped with ultra-modern facilities have been set up in various cities of India to effectively deal with the problem of Yellow Spots. The New Age Toilets initiative under the Toilet 2.0 campaign has been a game-changer as it galvanised large-scale citizen participation and saw conscious efforts being made to bring about the change in sanitation landscape of urban India.
कूड़ा निस्तारण आज भी दुनिया के सामने बड़ी चुनौती बनकर खड़ा है मगर इस दिशा में भारत के प्रयास सभी को प्रभावित कर रहे हैं। शहरी स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए देशभर के कई शहरों में कूड़ा निस्तारण तो किया ही जा रहा है, बल्कि ‘वेस्ट टू एनर्जी’ प्लांट्स के माध्यम से कूड़ा निस्तारण के साथ-साथ ऊर्जा भी उत्पन्न की जा रही है। इतना ही नहीं, महाराष्ट्र में पिंपरी चिंचवाड़ महानगर पालिका की पहल अपशिष्ट से ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार दिशा दिखा रही है। जहां प्लांट पर जनरेट हुई ऊर्जा से ही प्लांट का संचालन हो रहा है और अन्य जगह भी ऊर्जा उपयोग में लाई जा रही है।
गंगा नदी और उसके किनारे बसे शहरों को कचरा मुक्त बनाए रखने की प्रतिबद्धता स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के लक्ष्य का महत्वपूर्ण पहलू है। लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा के लिए उत्तराखंड में हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री, बिहार में सुल्तानगंज, उत्तर प्रदेश में प्रयागराज और वाराणसी जैसे तीर्थ स्थानों की यात्रा करते हैं और कांवड़ में बंधे पात्रों में गंगा जल लेकर लौटते हैं। बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड में 98 गंगा टाउन जल क्षेत्र की स्वच्छता व्यवस्थाओं में तेजी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
Frontline workers are the true champions of urban sanitation in India. They are transforming cities by cleaning toilets, cleaning and emptying sewers, septic tanks and drains, operating sewage treatment plants despite the challenges they are faced with. They have laid the foundation of a clean India.
To ensure city sustainability, informal settlements require safe and livable urban spaces. Proper waste management and sanitation demonstrate inclusivity and sustainability. Cities such as Navi Mumbai and Pune are actively implementing various measures to improve waste management systems, prioritizing resident well-being and reducing environmental impact.
Swachh Bharat Mission increased the thrust on sustainable sanitation solutions which led to improvement in the sanitation reach. The outcome of the Citywide Inclusive Sanitation approach is that everyone in an urban area has access to and benefits from adequate and sustainable sanitation services.
The Amarnath Yatra draws devotees to South Kashmir's holy cave every year. The influx generates massive waste which needs effective management. SBM-Urban 2.0 fosters cleanliness through waste systems, sanitation, and awareness campaigns. These efforts make the Amarnath Yatra an eco-friendly pilgrimage, elevating cleanliness standards.
देशभर के शहरों से प्रतिदिन करीब 30 हजार टन मलबा निकलता है। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) की ओर से स्वच्छ भारत मिशन शहरी के अंतर्गत कई ठोस कदम उठाए गए हैं, जिसके तहत 400 ‘कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलेशन (सीएंडडी) वेस्ट प्लांट्स’ पर 15 हजार टन मलबे का प्रतिदिन निस्तारण किया जा रहा है। इस तरह वर्तमान समय में निकलने वाले कुल सीएंडडी वेस्ट में से लगभग 50 प्रतिशत तक रीसाइकल करते हुए उससे पुन: उपयोग में लाने लायक उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
Cities in action are ensuring citizen partnership and community mobilization in holding zero-waste events, with the use of biodegradable material, onsite processing of solid waste and home composting encouraged by ULBs.
देश में इकट्ठे होते कूड़े को स्रोत पर ही अलग अलग करने की व्यवस्था के बाद उसके निस्तारण् में सॉलिड वेस्ट या कबाड़ से देश भर के शहरों में पार्क, सेल्फी प्वाइंट आदि के निर्माण से सर्कुलर इकॉनमी को बल मिल रहा है। 3 R यानि रीड्यूस, रीयूज़ और रीसाइकल प्रणाली से न सिर्फ कूड़े को खत्म किया जा रहा है बल्कि उनके पुनः उपयोग से शहरी स्थानीय निकायों को आर्थिक आय के साधन भी प्राप्त हो रहे हैं।
Garbage Dumps and open dumpsites are being transformed rapidly to change and beautify the urban landscape. Under Swachh Bharat Mission Urban 2.0, many States are taking creative initiatives to transform and beautify these garbage dumps in urban areas which eventually lead to sustainable development and a healthier, greener future.
Cities are now working towards sustainability of sanitation status, by ensuring that no untreated wastewater is discharged into the open environment. The focus is on water conservation and reuse under the Jal Shakti Abhiyan that also aligns with the Sustainable Development Goals on clean water and sanitation.
देश और दुनिया भर के शहरों में वेस्ट मैनेजमेंट बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए हमारे देश में कई शहर अनोखे प्रयास कर रहे हैं। इनमें छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर ने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को ‘दीदियों’ का दर्जा देकर एमआरएफ सेंटर्स पर सैकड़ों रोजगार प्रदान किए। यहां कचरे को 37 श्रेणियों में अलग किया जा रहा है। गोवा के पणजी में 16-वे सेग्रीगेशन में महिलाओं का सहयोग लिया जा रहा है। वहीं कर्नाटक के बेंगलुरु में ‘कर्तव्य’ सेग्रीगेशन सेंटर्स लोगों को स्वच्छता का कर्तव्य याद दिला रहे हैं, जो बेहद सराहनीय प्रयास हैं।
A few years back generating electricity from vegetable waste would have been a far-fetched idea, but not anymore. Hyderabad’s Bowenpally Vegetable Market turned this into reality. Nearly 10 tons of waste is collected every day in the market, which used to end up in landfills, but is now the major source of electricity for the vegetable market.
महाराष्ट्र के विटा नगर परिषद् ने न सिर्फ सिंगल-यूज़ प्लास्टिक बैन किया बल्कि उसके कई विकल्प भी सुझाए। इन्हीं विकल्पों में से एक है थैला एटीएम, जिसने प्लास्टिक की थैलियों की जगह ली। परिषद् द्वारा इस विकल्प को सुझाने का तरीका चर्चा का विषय बना क्योंकि उन्होंने दुकानदारों और खरीददारों को थैले मुहैया कराने के लिए भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर पांच जगह ‘थैला एटीएम’ लगा दिए।
In the bid to achieve the goal of Garbage Free Cities, it is as much crucial to empower the sanitation workers as it is to have proper waste management. Chandigarh civic body does exactly that by introducing all-women PINK MRF centres, modern machinery and insurance policy for all its SafaiMitras in our 3rd #StoryOfTheWeek.
उत्तर प्रदेश के लोनी में नगर पालिका परिषद की एक महिला अधिकारी की पहल पर कुछ स्थानीय महिलाओं ने ‘जीरो वेस्ट विजन’ की दिशा में एक सराहनीय प्रयास किया है। यहां गौशाला से निकलने वाले गोबर का इस्तेमाल कर उससे अगरबत्तियां और लोबान कप बनाए जा रहे हैं। पहले जो गोबर यहां नाले-नालियां जाम होने का सबब बन रहा था, आज वह ‘राजस्व, व्यापार और रोजगार’ का माध्यम बन रहा है।
Adjudged the cleanest city of India six times consecutively, Indore has made a place for itself not just nationally but also internationally as clearly observed by the enthusiasm in the recently concluded Pravasi Bharatiya Divas 2023. Participants from different countries were keen to explore the possibilities of establishing ties and cooperation with local industry leaders for trade and business in the clean, green city of India.