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रिड्यूस, रीयूज़ और रीसायकल LiFE के बन रहे हैं अभिन्न अंग

स्वच्छता और LiFE के बीच अटूट रिश्ता बुनता RRR सेंटर


रिड्यूस, रीयूज़ और रीसायकल - RRR आज के जीवन का नया मंत्र है। मनुष्य के जीवन में चल रही हलचल के बीच एक ठहराव का समय आ रहा है। जी हां आरआरआर की पहल से आम लोगों के व्यवहारिक जीवन में बहुत बदलाव आ रहा है। सामान्य घरेलू सामानों का पुन: उपयोग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। इसी संस्कृति से प्रेरणा लेते हुए लोगों ने अपनी जड़ों की तरफ वापस रुख कर लिया है। रिड्यूस, रीयूज़ और रीसायकल एक ऐसा जीवंत विकल्प है जिससे लोग न सिर्फ अपने घर में बेकार पड़ी वस्तुओं को RRR सेंटर में दे कर घर को कचरा मुक्त कर रहे हैं बल्कि इन वस्तुओं को एक नया रूप दे कर प्रयोग में ला रहे हैं और जीवन को सरल एवं सुयोग्य बना रहे हैं।


इस कड़ी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने  'मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर' अभियान शुरू किया। यह अभियान नागरिकों, संस्थानों, वाणिज्यिक उद्यमों आदि द्वारा पुराने इस्तेमाल किए हुए प्लास्टिक की वस्तुओं, कपड़ों, जूतों, किताबों और खिलौनों को जमा करने के लिए वन-स्टॉप कियोस्क के रूप में 'रिड्यूस, रीयूज़, रीसायकल' (RRR) केंद्र स्थापित करने और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को सशक्त बनाने पर केंद्रित प्रयास है। गाजियाबाद से तेनाली तक, चंडीगढ़ से तांबरम तक, लखनऊ से नवी मुंबई तक आइजोल से अहमदाबाद तक, सभी स्थानीय शहरी निकायों ने आरआरआर केंद्र स्थापित किए और साथ ही जागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन किया। अब नागरिक अपनी बेकार वस्तुओं को दान करने और उन्हें किसी जरूरतमंद को सौंपने में बिना किसी झिझक अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं साथ ही आम लोगों और स्वयं सेवकों के जागरूक प्रयासों ने जिम्मेदारी की भावना को भी बढ़ावा दिया और कचरा-मुक्त शहर (जीएफसी) के लक्ष्य की ओर शहर वासियों का ध्यान आकर्षित किया।

विशाखापत्तनम में “बुक कैफे” की तर्ज पर आरआरआर केंद्र खुला। नाम से ही अपनी उपयोगिता दर्शा रहे इस आरआरआर केंद्र में सुकून से बैठ कर अध्ययन करने की एक छोटी सी व्यवस्था है जिसमें पुराने टायरों, पुराने चारकोल ड्रम और किताबों का इस्तेमाल किया गया है। यहां लोग शांति से अपनी मनपसंद किताब का आनंद कॉफी पीते हुए ले सकते हैं। इसमें हजारों किताबों व्यवस्थित रूप से रखा गया है। ये सभी किताबें गैर-शैक्षणिक, काल्पनिक और गैर-काल्पनिक शैलियों पर आधारित हैं। इस थीम का उद्देश्य लोगों को अध्ययन से जोड़ने के साथ-साथ इस्तेमाल या इस्तेमाल में ना आने वाली वस्तुओं का संग्रह करने के लिए एक केंद्र बनाना है।

चंडीगढ़ के मशहूर सैक्टर 17 में खुला स्थायी आरआरआर केंद्र वहां के लोगों के जीवनशैली का एक अभिन्न अंग बन गया है। 15 दिनों तक चलने वाला "मेरी लाइफ़ मेरा स्वच्छ शहर'' अभियान के दौरान लोगों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया परिणामस्वरूप पर्यावरण के प्रति संवेदनशील व्यवहार शहर के निवासियों के मन में रच बस चुका है। आरआरआर केंद्र में नागरिक अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुएँ जैसे कपड़े, किताबें, क्रॉकरी, इलेक्ट्रॉनिक और अन्य वस्तुएँ स्थायी आरआरआर केंद्र पर या मोबाइल संग्रह वाहन "स्वच्छ सवारी” के माध्यम से संग्रहित करवाते हैं।


उत्तर प्रदेश में एक प्रभावशाली अभियान, आरआरआर- “ना थ्रो ना थ्रो” (कम करें, पुन: उपयोग करें, रीसायकल करें) चलाया जा रहा है। इस अभियान में शहर की जीवंत भावना और सक्रिय सामुदायिक भागीदारी स्पष्ट थी क्योंकि लखनऊ में आरआरआर केंद्रों के उद्घाटन कार्यक्रमों में 20,000 से अधिक नागरिकों की उपस्थिति देखी गई। इसके अतिरिक्त, शहर में 10,000 से अधिक घरों ( 45,000 से अधिक निवासियों) को कई गैर सरकारी संगठनों, एसएचजी, सीएसओ के 1257 से अधिक स्वयं सेवकों और निगम द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा डी2डी अभियानों के माध्यम से जागरूक किया गया। इससे लखनऊ नगर निगम के अपशिष्ट प्रबंधन का पारिस्थितिकी तंत्र पर बोझ भी कम हो गया है, जो प्रतिदिन 1500 टन से अधिक कचरे को संभालता है।


केरल में अलाप्पुझा नगर पालिका ने कॉमिक कैरेक्टर, सुपर स्वैपर्स के माध्यम से आरआरआर दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की एक रोचक कोशिश की । सुपर स्वैपर एलेप्पी नगर पालिका की एक विशेष पहल है। इस पहल के तहत एलेप्पी नगर पालिका की वैन सभी वस्तुओं को एकत्र करती है और उन्हें उनकी सुपर सॉर्टिंग फैसिलिटी सेंटर तक पहुंचाती है। उसके बाद सुपर सॉर्टिंग फैसिलिटी सेंटर से चीजों को विभिन्न वर्गों में क्रमबद्ध किया जाता है जिससे व्यवस्थित करने में मदद मिलती है। छँटाई के बाद, वस्तुएँ नगर पालिका की सुपर स्वैप शॉप में जाती हैं। सुपर स्वैप शॉप पर जिसको भी चीजों की जरूरत हो वह आकर मुफ्त में चीजें ले सकता है। इस पहल में भाग लेकर लोग पर्यावरण के प्रति अपना प्यार दिखा रहै हैं। भारत को स्वच्छ शहरों और सस्टेनेबल पर्यावरण की मंजिल तक पहुंचने के लिए ऐसे लाखों सुपर स्वैपर्स की आवश्यकता होगी।

एसबीएम के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में कई आरआरआर केंद्र चल रहे हैं। आरआरआर केंद्र न केवल वन-स्टॉप कियोस्क के रूप में काम कर रहे हैं बल्कि रीसाइकल की गई वस्तुओं से बने सामान के लिए भी संग्रह केंद्र बन रहे हैं। विभिन्न राज्यों में अनूठी थीम पर बने आरआरआर केंद्रों पर हो रहे कार्यों के चलते ये शहर के स्थायी RRR Centre के रूप में अपनी स्थायी पहचान बना रहे हैं। एसबीएम और मिशन LiFE के बीच स्वाभाविक और पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंध अटूट हैं। दोनों अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आरआरआर - 'रिड्यूस, रीयूज़, रीसायकल' पर आधारित हैं जो कि स्वच्छ शहर, सतत विकास और अर्थव्यवस्था को भी मुख्य आधार प्रदान करते हैं।

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